NCERT 10th HINDI क्षितिज अध्याय -02 / बालगोबिन भगत/रामवृक्ष बेनीपुरी


लेखक परिचय - रामवृक्ष बेनीपुरी


जन्म- रामवृक्ष बेनीपुरी जा जन्म 1902 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बेनीपुर नामक ग्राम में हुआ था | इनके पिता श्री फूलचंद एक साधारण किसान थे | बचपन में ही इनके माता-पिता का निधन हो गया और इनका लालन-पालन इनकी मौसी ने किया |

शिक्षा-  इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बेनीपुर में हुई और बाद में ये अपने ननिहाल में पढ़े | मैट्रिक परीक्षा उतीर्ण करने से पूर्व ही  1920 ईo में इन्होंने अध्ययन छोड़ दिया और महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े | आगे स्वाध्याय के बल पर ही इन्होने हिंदी साहित्य की 'विशारद' परीक्षा उतीर्ण की | पन्द्रह वर्ष की आयु में ही ये पत्र-पत्रिकाओं में लिखने लगे थे | 


साहित्यिक रचनाएँ  :- इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं :-

1. रेखाचित्र :- माटी की मूरतें, लाल तारा |

2. संस्मरण :- जंजीरे और दीवारें, मील के पत्थर |

3. कहानी :- चिता के फूल |

4. उपन्यास :- पतितों के देश में |

5. यात्रावृत्त :- पैरों में पंख बांधकर, उड़ते चलो |

6. नाटक :- अम्बपाली, सीता की माँ, रामराज्य |

7. निबन्ध :- गेहूँ और गुलाब, मशाल |

8. जीवनी :- महाराणा प्रताप, जयप्रकाश नारायण, कार्ल मार्क्स |

9. आलोचना :- विद्यापति पदावली, बिहारी सतसई की सुबोध टीका |

10. सम्पादन :- कर्मवीर, किसान मित्र, बालक, कैदी, योगी, जनता, हिमालय |

साहित्यिक विशेषताएं :- इन्होंने रेखाचित्र विधा को समृद्ध करने में तथा साहित्य की विविध विधाओं में अनेक कृतियाँ लिखकर इन्होने हिंदी साहित्य की महान सेवा की है | इनकी रचनाएँ सांस्कृतिक, सामाजिक पृष्ठभूमि को उजागर करती हैं |

भाषा शैली :- बेनीपुरी के भाषा सरल एवं व्यवहारिक है | इनके द्वारा प्रयुक्त खड़ी बोली में सरलता, सुबोधता एवं सजीवता विद्यमान है | इन्होंने अपनी भाषा में तत्सम, तद्भव शब्दों के साथ देशज, अंग्रेज़ी व उर्दू के शब्दों का भी उपयोग किया है | इनकी रचनाओं में लाक्षणिक एवं अलंकारिक भाषा भी उपलब्ध होती है |



मृत्यु :- सन 1968 में इनका देहावसान हो गया |

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