Retail U1-S4-Choose the ways to categorized retail

 

(वर्गीकृत रिटेल के तरीकों को चुनना )

 

 

1. Write down the ways to categorize retailer? (रिटेलर को वर्गीकृत करने के तरीके लिखिए?)

या

What are the ways to categorized retail? (खुदरा वर्गीकृत करने के क्या तरीके हैं?)

या

Classify the six factors based on marketing decision  । (विपणन निर्णय के आधार पर छह कारकों को वर्गीकृत करें)

या

Retailers can be categorized based on six factors.(खुदरा विक्रेताओं को छह कारकों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।)

कई तरीको के द्वारा खुदरा विक्रेताओं का वर्गीकरण उनकी विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है। इनका मुल्यांकन/ वर्गीकरण निम्नलिखित तत्वों के आधार पर किया जा सकता है:-

1. Target Markets Served (लक्षित बाजार सेर्वेड)

2. Product Offerings (प्रोडक्ट की पेशकश)

3. Pricing Structure (मूल्य निर्धारण ढांचा)

4. Promotional Emphasis (प्रचारक जोर)

5. Distribution Method (वितरण विधि)

6. Service Level (सेवा स्तर)

 

1. Target Markets Served (लक्षित बाजार सेर्वेड)

 

इस प्रकार की केटेगरी में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:-

(A). Mass Market - मास्स मार्केट रिटेलर वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए बाजार के बहुत बड़े हिस्से को टारगेट करते है। बाजार के आकर के कारण इस प्रकार के रिटेलर्स में तीव्र पर्तिस्पर्धा होती है।

(B). Specialty Market - इस प्रकार के रिटेलर ऐसे ग्राहकों को टारगेट करते है जो विशेष प्रकार की वस्तुओं को खरीदना पसंद करते है और ये वस्तुएं मास्स मार्केट वस्तुओं से परे होती है। इसमें उन ग्राहकों को शामिल किया जाता जिनको एडवांस्ड प्रोडक्ट ऑप्शंस अथवा हाई कस्टमर सर्विस की जरूरत होती है।

(C). Exclusive Market :- इस प्रकार के रिटेलर ऐसे ग्राहकों को टारगेट करते है जो जो अक्सर बहुत कम उत्पादों में पाए जाने वाले सुविधाओं और अत्यधिक व्यक्तिगत सेवाओं के लिए प्रीमियम का भुगतान करने के इच्छुक होते हैं। चूंकि इसमें टारगेट मार्केट छोटी होती है, इसलिए वे छोटे भौगोलिक क्षेत्र में ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

 

2.  Product Offering (प्रोडक्ट की पेशकश)

 

इस केटेगरी अंतर्गत रिटेलर को, बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स की विड्थ (चौड़ाई) और डेप्थ (गहराई) के आधार पर बांटा जाता है। 

Product Width – विभिन्न प्रोडक्ट्स लाइनों की संख्या अर्थात एक ही लाइन में विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट्स।

Product Depth – (एक प्रोडक्ट लाइन के भीतर विभिन्न प्रोडक्ट्स की संख्या)

(A)  .General Merchandisers :- इस प्रकार के रिटेलर ज्यादा प्रोडक्ट लाइन्स की वस्तुओं को बेचते है। लेकिन एक प्रोडक्ट लाइन के भीतर वस्तुओं की संख्या सिमित होती है। उदाहरण के लिए एक रिटेलर फ़ूड प्रोडक्ट्स भी बेचता है, कोल्ड ड्रिंक्स भी, और नॉन-फ़ूड प्रोडक्ट्स भी बेचता है लेकिन इसमें प्रोडक्ट्स की संख्या सिमित होती है।

(B)   Multiple Lines Specialty Merchandisers : - इस प्रकार की केटेगरी के रिटेलर के पास प्रोडक्ट लाइन की संख्या सिमित होती है। लेकिन प्रोडक्ट लाइन के अंदर वस्तुओं को चुनने के अवसर ज्यादा होते है। उदाहरण के लिए उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर इस केटेगरी में आते है।

(C)   Single Line specialty Merchandisers :- कुछ रिटेलर्स केवल एक प्रोडक्ट लाइन की वस्तुओं को ही बेचते है या केवल एक विशेष प्रकार का प्रोडक्ट ही सेल करते है। ऐसा ऑनलाइन देखा जा सकता है जहां एक छोटी सी वेबसाइट एक सिंगल कंप्यूटर गेमिंग सॉफ्टवेयर बेच रही होती है। दूसरा उदाहरण एक छोटा सा  ज्वेल्लेरी स्टोर जिसमे सिर्फ हाथ की घड़ियाँ ही बेचीं जाती है।

 

3. Pricing Strategy (मूल्य निर्धारण ढांचा)

 

इस प्रकार के रिटेलर्स का वर्गीकरण सामान्य मूल्य निर्धारण रणनीति (general pricing strategy) पर किया जा सकता है। इस केटेगरी में रिटेलर्स को यह निर्धारित करना पड़ता है की उनका दृष्टिकोण मूल्य निर्धारण की रणनीति में क्या होगा अर्थात वे मूल्य का प्रयोग पर्तिस्पर्धात्मक लाभ(competitive advantage) के रूप में करेंगे अथवा गैर-मूल्य तरीकों (non-price way) से प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करेंगे। इस केटेगरी में रिटेलर्स को निम्नलिखित प्रकार से बांटा जा सकता है :-

(A). Discount Pricing (छूट मूल्य निर्धारण) - इस केटेगरी में उन रिटेलर्स को शामिल किया जाता है जो वस्तुओं को औसत बाजार मूल्य से कम मूल्य पर बेचते है। लाभ कमाने के लिए ये रिटेलर्स ग्राहकों को कम सेवाओं के द्वारा वस्तुओं को ज्यादा मात्रा में बेचते है।

(B). Competitive Pricing (प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण) - इस प्रकार के रिटेलर्स विशेष प्रकार के बाज़ारों का संचालन करते है, आक्रामक रूप से बाजार की निगरानी रखते है ताकि उनका मूल्य निर्धारण पर्तिस्पर्धी (competitive) बना रहे। इस प्रकार के रिटेलर्स डिस्काउंट रिटेलर्स की तरह मूल्य का निर्धारण करने की इच्छा नहीं रखते। इनका उदेश्य पर्तिस्पर्धी कीमतों पर वस्तुओं को बेचना है।

(C). Full Price Pricing (पूरी कीमत मूल्य निर्धारण)  - इससे अधिकतम खुदरा मूल्य (Maximum Retail Price - MRP) भी कहा जाता है जिस मूल्य पर रिटेलर्स वस्तुओं को बिना किसी डिस्काउंट के लक्षित ग्राहकों को बेचते है। हालांकि इस प्रकार के रिटेलर्स डिस्काउंट (Discount) अथवा कॉम्पिटिटिव प्राइसिंग रिटेलर्स (Competitive Pricing Retailers) की तुलना में कम मात्रा (lower volume) में वस्तुए बेचते है। इसमें प्रत्येक वस्तु पर लाभ मार्जिन (Profit Margins) बहुत अधिक होता है।

 

4. Promotional Emphasis (प्रचारक जोर)

इस प्रकार की केटेगरी में वे रिटेलर्स आते है जो विभिन्न प्रकार की प्रचारक तकनीकों का प्रयोग करके ग्राहकों में वस्तुओं को खरदीने की रूचि उत्पन्न करते है। इस केटेगरी में निम्नलिखित प्रकार के रिटेलर्स आते है:-

(A). Advertising : इस प्रकार के रिटेलर्स विज्ञापन के परम्परागत प्रचार के तरीको जैसे न्यूज़ पेपर अथवा टेलीविज़न के माध्यम से ग्राहकों में वस्तुओं के खरीदने की रूचि पैदा करते है।

(B). Direct Mail : इसमें वे रिटेलर्स शामिल होते है जो अपने प्रचार के लिए विज्ञापन का एक विशेष रूप जो कई खुदरा विक्रेता अपने प्रचार के लिए उपयोग करते हैं, प्रत्यक्ष मेल (Direct Mail) है। डायरेक्ट मेल का उपयोग अक्सर छोटी स्थानीय कंपनियों द्वारा किया जाता है जो पोस्टकार्ड / डिजिटल मेलिंग का उपयोग करते हैं।

(C). Personal Sellling : इस प्रकार के रिटेलर्स महंगे और high-end वस्तुओं को बेचने के लिए एक उचित राशि ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करने के प्रचार के तरीको में लगा देते है। 

5.  Distribution Method (वितरण विधि)

इसमें निम्नलिखित प्रकार के रिटेलर्स को शामिल किया जाता है :-

(A). Store-Based Sellers - इस प्रकार के रिटेलर्स वस्तुओं को स्टोर में इक्क्ठा करके बेचते है। इस प्रकार के स्टोर एक अथवा उससे अधिक स्टोर फिजिकल रूप से एक दूसरे से जुड़े हो सकते है। इनको आगे विभिन्न वर्गों में बांटा जा सकता है :-

(I). Stand-Alone - इस प्रकार के रिटेल आउटलेट किसी दूसरे आउटलेट से जुड़े हुए नहीं होते।

(II). Strip-Shopping Center - इस प्रकार के रिटेल स्टोर दो या दो से अधिक फिजिकल रूप से एक दूसरे से जुड़े होते है अथवा फिजिकल संसाधन (पार्किंग एरिया) एक दूसरे के साथ शेयर करते है।

(III). Shopping Area - इसमें एक केंद्र स्थान विभिन्न स्टोरों का संचानल किया जाता है और ये स्टोर फिजिकल रूप से एक दूसरे से जुड़े हो भी सकते है और नहीं भी, लेकिन ये स्टोर एक दूसरे के नजदीक होते है। उदाहरण के लिए किसी शहर में शॉपिंग करने के लिए बनाया गया स्थान।

(IV). Regional Shopping Mall - इस प्रकार के स्टोर एक बहुत बड़े मॉल के अंदर स्थापित होते है और एक दूसरे के साथ जुड़े हुए होते है।

(B). Non-Store Sellers - इस प्रकार की रिटेलिंग में वस्तुओं को बेचने के लिए एक स्थान पर स्टोर करने की आवश्यकता नहीं होती। ग्राहकों के द्वारा वस्तुएं खरीदने के लिए इस प्रकार के स्टोर में जाने की आवश्यकता नहीं होती क्योकि रिटेलर्स इसमें वस्तुओं को ऑनलाइन सेल करता है। यह वस्तुओं और सेवाओं को बेचने का सबसे तेज तरीका (fast growing method) है। ये निम्नलिखित प्रकार से हो सकती है:-

(I). Online Sellers - यह वितरण विधि का फ़ास्ट ग्रोइंग मेथड (fast growing method) है जो ग्राहकों को इंटनेट के माध्यम से वस्तुओं को खरीदने की अनुमति देता है। ज्यादातर केसों में ग्राहकों तक वस्तुओं को डिलीवर करने का कार्य थर्ड पार्टी के द्वारा किया जाता है।

(II). Direct Marketers - इस प्रकार के रिटेलर्स प्रारम्भिक स्थान से वस्तुओं को बेचने के लिए सीधे ग्राहकों से मेल अथवा फोन के द्वारा आर्डर प्राप्त करते है।

(III). Vending Machine - वेंडिंग मशीनों के माध्यम से खरीदारी करते समय उपभोक्ता को किसी स्थान पर फिजिकल रूप से जाने की आवश्यकता होती है, इस प्रकार की खुदरा बिक्री (retailing) को गैर-स्टोर खुदरा बिक्री (non-store retailing) के रूप में माना जाता है क्योंकि वेंडिंग मशीन का संचालन कंपनी के कार्य-स्थल पर नहीं किया जाता।

(6). Service Level (सेवा स्तर)

एक रिटेलर ग्राहकों को उनकी इच्छा के अनुसार वस्तुएं और उन्हें उचित कीमत पर उपलब्ध करवाके ही आकर्षित नहीं करता बल्कि सेवाएं देकर भी उनको आकर्षित करता है। रिटेल सर्विस के कम से कम तीन स्तर है:-

(A)   Self Service - ये वो रिटेलर्स होते है जो ग्राहकों को सेल्फ सर्विस की सुविधा प्रदान करते है। उदाहरण के लिए जैसे ऑनलाइन खरीदना (online purchasing), वेंडिंग मशीन से खरीदना (vending machine purchasing), स्वयं जाँच सेवा (self checkout service, पेमेंट का भुगतान (payment) इत्यादि।

(B)    Assorted-Service (मिश्रित सेवा) - ज्यादातर रिटेलर्स ग्राहकों को कुछ स्तर तक मिश्रित सेवाएं प्रदान करते है जैसे भुगतान के लिए वैकल्पिक तरीको के चुनाव की सुविधा, वस्तुओं के चुनाव में सहायता करना, किस्तों में भुगतान की सुविधा, डिलीवरी की पेशकश करना इत्यादि।

Full Service - इस प्रकार के रिटेलर्स ग्राहकों को वस्तुओं के चुनाव से लेकर उसकी खरीद तक के मध्य से संबंधित सभी सेवाएं प्रदान करते है। ये फुल प्राइज रणनीति को भी लागू करते है क्योकि रिटेलर्स फुल सर्विस दृष्टिकोण को अपनाते है और उसकी कीमत को ग्राहकों की खरीद में जोड़ देते है।

 

Retail based on ownership structure (स्वामित्व संरचना की रिटेल स्ट्रक्चर)

 

(A). Individually Owned and Operated(व्यक्तिगत स्वामित्व और संचालित स्टोर ) - इसके अंतर्गत एक अथवा संख्या में बहुत कम स्टोरों का स्वामित्व और संचालन एक व्यक्ति अथवा कॉर्पोरेट इकाई के द्वारा किया जाता है। एकल स्वामित्व (single ownership) वाले रिटेल आउटलेट छोटे रिटेल स्टोर होते है जबकि ऑटोमोटिव और फर्नीचर उधोग जो एकल स्वामित्व वाले होते है बहुत बड़े आउटलेट होते है।

(B). Corporate Chain - इसमें विभिन्न आउटलेट्स का स्वामित्व और संचालन एक व्यक्ति अथवा एकल इकाई (single unit) के द्वारी एक जैसी रिटेल की गतिविधियों के द्वारा किया जाता है। जबकि इसमें रिटेल आउटलेट्स की संख्या को कभी निर्धारित नहीं किया गया। इसमें यह मान लिया जाता है की कोई भी जो एक से ज्यादा रिटेल लोकेशन के स्टोर का स्वामी है तो उसे रिटेल चैन समझा जायेगा।

(C). Corporate Structure - इस प्रकार का वर्गीकरण बड़े रिटेलर्स को कवर करता है जो मूल रूप से नॉन-स्टोर रिटेल क्षेत्र में रिटेल स्टोर का संचालन करते है जैसे - online, catalog, और vending मशीन इत्यादि।

(D). Franchising - फ़्रेंचाइज़िंग फ़्रेंचाइज़र (पहले से स्थापित बिज़नेस का स्वामी) और फ्रेंचाइजी  (जो फ़्रेंचाइज़र (Franchiser) के नाम से बिज़नेस करता है) के बीच एक क़ानूनी अनुबंध होता है जिसमे फ़्रेंचाइज़र अपने नाम से स्थापित बिज़नेस को करने की अनुमति फ्रेंचाइजी को देता है। इसके बदले में फ़्रेंचाइज़र फ्रेंचाइजी (Franchisee) से लाभ में से एक निश्चित परसेंटेज (percentage) लेता है। इसमें स्टोर लेआउट (layout) और बेचे जाने वाले सामान की गुणवत्ता (quality) भी फ़्रेंचाइज़र के द्वारा पहले से निर्धारित होती है ताकि फ़्रेंचाइज़र का नाम बना रहे। उदाहरण के लिए जैसे पिज्जा हट, मैक डोनाल्ड इत्यादि।

 

Key Issues Faced by Retailers (रीटेलर द्वारा किन किन मुश्किलों का सामना किया जाता है ):-

आज के समय मे रीटेलर को success पाने के लिए बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इनमे से मुख्य निम्न है :-

  1. Customer Satisfaction ( ग्राहक संतुष्टि) :- रीटेलर जनता है कि एक संतुष्ट ग्राहक( संतुष्ट ग्राहक) ही Loyal Customer (वफ़ादार ग्राहक) होते है. रीटेलर के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती ग्राहक को संतुष्ट करना होता है. इसके लिए रीटेलर को रणनीति बनानी चहिए जिससे ग्राहक से रिश्ते मजबूत हो सके.
  2. Ability to acquire the right products ( उचित वस्तुएँ उपलब्ध करवाने की क्षमता):- एक ग्राहक को तभी संतुष्ट किया जा सकता है जब वह अपनी ज़रूरत के हिसाब से उचित वस्तुएँ खरीद सके. इसलिए रीटेलर के लिए यह बहुत मुश्किल और ज़रूरी होता है कि कस्टमर जो वस्तुएँ चाहते है उन वस्तुओं की पहचान करे और सप्लायर से बातचीत (मोल-भाव) करके उन वस्तुओं की व्यवस्था करे.
  3. Product Presentation ( वस्तु प्रस्तुतिकरण) :- जो वस्तुएँ रीटेलर खरीद कर लाता है वह कस्टमर का इंटेरेस्ट जेनरेट करने के लिए उनके सामने प्रस्तुत करना बहुत ज़रूरी है. अच्छा प्रॉडक्ट प्रेज़ेंटेशन रीटेलर के लिए मुख्य चुनौती है.
  4. Traffic Building (भीड़ इकट्ठा करना) :-  ट्रैफिक बिल्डिंग कई प्रकार की प्रचार तकनीक से संबंधित है. जैसे- Advertising  newspaper या internet से और special promotion आदि.

कस्टमर की संख्या बढ़ाने के लिए रीटेलर को कई प्रकार कि Promotional Activities जैसे Gift Voucher, Coupons आदि का सहारा लेना पड़ता है.

  1. Loction (जगह) :- अच्छी जगह पर स्थापित स्टोर, अच्छे दिखने वेल और आसानी से पहुँच वेल स्टोर पर कस्टमर ज़्यादा संख्या मे आते है.
  2. Layout (खाका या नक्शा) :- Store based retailer  के लिए Store Layout  बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि स्टोर मे ऐसा वातावरण तैयार करना ज़रूरी है जो लोगो को आकर्षित कर सके. अच्छा खाका या नक्शा तैयार करना भी रीटेलर की एक मुख्य चुनौती है.
  3. Keeping Pace with Technology (तकनीक की रफ़्तार से गति करना) :- रीटेल के क्षेत्र मे नित्त नई टेक्नालजी विकसित हो रही है जैसे- C.R.M., R.F.I.D. technique  आदि. रीटेलर के लिए नई नई तकनीको को समझना आसान नही होता.

 

Responsibilities of Store Operation Assistant (स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट की जिम्मेदारियां):-

 स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:- 

1. प्रशासनिक कर्तव्यों का पालन करना (Performing administrative duties)

2. रिसेप्शनिस्टों की सहायता करना (Assisting receptionists)

3. महत्वपूर्ण फ़ाइलों को कूरियर करना (Couriering important files)

4. नए-2 विचार प्रदान करना (Providing innovative ideas) 

5. कंपनी की नीतियों और प्रक्रियाओं के रिकॉर्ड का प्रबंधन करना (Managing records of company policies and procedures)

6. अन्य विभाग के सहायकों के साथ कंपनी की मीटिंग, इवेंट्स और सेशंस का समन्वय करना अथवा के लिए तालमेल बनाना (Coordinating Company meeting, events and sessions with other department assistants)

7. गेस्ट या क्लाइंट के लिए खाने-पीने और रुकने का इंतजाम करना (Preparing guests or client accommodations)

8. प्रेज़ेंटेशन, डाक्यूमेंट्स, फ़ाइलें, स्प्रेडशीट और डेटाबेस बनाना (Creating presentations, documents, files, spreadsheets and databases)

9. डोमेस्टिक और इंटरनेशनल पैकेजों की डिलीवरी की व्यवस्था करना (Arranging for the delivery of domestic and international packages)

10. फाइनेंसियल रिपोर्ट तैयार करना (Preparing financial reports)

 

Duties of Store Operation Assistant (स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट के कर्तव्य):-

 

1. बिज़नेस ऑपरेशन कर्तव्यों को निभाने में मैनेजर के बैक-अप के रूप में कार्य करना। (Act as back-up to Manager in performing business operations duties).

2. आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेशन मैनेजर को सहायता प्रदान करना। (Provide support to Operations manager as and when required).

3. आवश्यकता पड़ने पर इंटरनल ऑपरेशन प्रक्रिया डॉक्यूमेंट को अपडेट करना। (Update internal operation procedures document as needed).

4. टीम मीटिंग के लिए शेड्यूल बनाना और फॉलो-अप प्रदान करने के लिए मैनेजर के साथ समन्वय स्थापित करना। (Coordinate with Manger to schedule team meetings and to provide follow-ups).

5. ऑपरेशन के मुद्दों के प्रबंधन और समाधान में मैनेजर को सपोर्ट करना अर्थात सहायता करना। (Support the Manager in managing and resolving operational issues).

6. श्रेष्ठ कस्टमर सर्विस प्रदान करने के लिए मैनेजर के साथ काम करना। (Work with Manager to provide excellent customer service).

7. कस्टमर मीटिंग्स में भाग लेना और संचालन टीम को मिनट्स ऑफ़ मीटिंग डिस्ट्रीब्यूट करना। (Participate in customer meetings and distribute minutes of meeting to the operations team).

8. मेल और फैक्स को अलग करना और संबंधित कर्मियों को डिस्ट्रीब्यूट करना। (Sort and distribute mails and faxes to respective personnel).

9. फ़ाइल स्टोर करना और जरूरत पड़ने पर कॉर्पोरेट डाक्यूमेंट्स और रिपोर्ट को पुनः प्राप्त करना। (Store, file and retrieve corporate documents and reports as and when needed).

10. ऑर्डर देना, स्टोर करना और सभी ऑफिस सप्लाइज को व्यवस्थित करना। (Order, store and organize all office supplies).

11. इनकमिंग और आउटगोइंग लेटर और पैकेज को मैनेज करना। (Manage incoming and outgoing letters and packages).

12. जनरल ऑफिस एडमिनिस्ट्रेटिव और क्लेरिकल कर्तव्यों को पूरा करना। (Perform general office administrative and clerical duties).

13. समय पर विभिन्न पार्टियों की पेमेंट्स और रिसीप्ट्स का मिलान करना। (Reconcile payments and receipts to various parties on time).

14. सभी ऑफिस आदेशों को नियमित आधार पर मैनेज करना। (Manage all office orders on regular basis).

15. सभी ऑफिस गतिविधियों के लिए लॉग और स्प्रेडशीट बनाए रखना। (Maintain logs and spreadsheets for all office activities).

 

स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट के लिए कौन सी मुख्य दक्षताओं/क्षमताओं (core competencies) की आवश्यकता होती है?

स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट के लिए आवश्यकता मुख्य दक्षतायें/क्षमताएं निम्लिखित है:-

∙ प्रोफेशनल इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन स्किल्स में निपुण होना अर्थात verbal और written कम्युनिकेशन में निपुण होना चाहिए।

∙ फील्ड तकनीशियनों से लेकर वरिष्ठ प्रबंधन (Senior Management) और संस्था प्रधान (organization principals) के साथ प्रभावशाली संचार (Effective communication) करने की क्षमता होनी चाहिए।

∙ विशेष रूप से Microsoft Office Suite skills, particularly Word, Excel, and PowerPoint का प्रयोग करने में निपुण होना चाहिए। 

∙ व्यक्तिगत रूप से (individually) और जिस पोजीशन पर वह कार्य कर रहा है उसके लिए उसमे संगठनात्मक कौशल (organizational skills) होना चाहिए।

∙ बिना देर किए कई उच्च प्राथमिकता वाले कार्यों को मैनेज (manage) करने की क्षमता (ability) उसमे होनी चाहिए।

∙ ऊंच स्तर (high level) वाले ग्राहकों के साथ आंतरिक (internal) और बाह्य (external) रूप से जुड़े होने की योग्यता होनी चाहिए।

∙ सेल्फ-स्टार्टर (Self-starter) होना चाहिए।

∙ एक टीम के माहौल में और व्यक्तिगत रूप से काम करने में कुशल होना।

∙ बहुत तेजी से book और fluid work setting को संचालित करने में सक्षम होना।

∙ RFP (Request for Proposal) प्रक्रिया और प्रथाओं के साथ परिचित होना।

∙ स्ट्रांग नेगोटिएशन (मोल-भाव करना) में निपुण होना।

∙ सकारात्मक (Positive) प्रोफेशनल (professional) और व्यक्तिगत आचरण (personal demeanor) का होना। 

∙ कड़ी मेहनत (hard-work) करने की योग्यता होनी चाहिए।

∙ असाधारण समस्या को हल करने की क्षमता होनी चाहिए।

 

 

 

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