WONDERFUL TLM MAKER ARCHANA SHARMA CHHATISGARH/अर्चना शर्मा छतीसगढ़

नमस्कार विद्यार्थियों एवम अध्यापक साथियों !

इस लेख में प्रस्तुत हैं टी.एल.निर्माता अर्चना शर्मा जी के विवरण और उनके बनाये टी.एल.एम को लेकर


                ◆ अर्चना शर्मा ◆

परिचय-ये बेहद ही कर्मठ एवम रचनात्मक अध्यापिका हैं । शिक्षा ज्योति** के नाम से इनका फेसबुक पेज है ।इसी नाम से इनका वेब पेज भी है । इसी नाम से इनका यू ट्यूब चैनल भी है।
घर परिवार एवम नौकरी को मैनेज करते करते ये इतना रचनात्मक कार्य कर पाती हैं जो हर शिक्षक में प्रेरणा भरने का कार्य करता है । आईये और जानें इनके बारे में
इन्हीं के शब्दों में

"छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चाम्पा जिले के अकलतरा विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तरौद में सन्2005  में मेरी पदस्थापना हुई थी। कुछ  वर्ष बाद अध्यापन व्यवस्था के तहत मुझे विकासखण्ड के विभिन्न शालाओं में कार्य करने के अवसर मिला।
सन् 2016 में शिक्षकों की कमी के कारण अध्यापन व्यवस्था के लिए मुझे मेरी मूल शाला शासकीय प्राथमिक शाला देवकिरारी से प्राथमिक शाला मुड़पार में संलग्न किया गया था। वहाँ मुझे कक्षा दूसरी को अध्यापन कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि इस शाला में शिक्षकों की कमी थी अतः इस कक्षा के विद्यार्थियों का ज्ञान शून्य था क्योंकि इन्हें पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक उपलब्ध नहीं थे। मुझे अध्यापन हेतु स्कूल के बरामदे को दिया गया था जो जर्जर और टूटा फूटा था वहाँ जो ब्लैक बोर्ड बना है वह पूरी तरह से घिस चुका था। मेरे मन मे तरह तरह के सवाल उठ रहे थे मैं घबरा रही थी सोच रही थी कि क्या मैं ऐसी  शाला में काम कर पाऊंगी और यह मेरे लिए एक बड़ी चुनौती भी थी जिसका सामना मुझे करना था क्योंकि  अब तक मैंने जहां जहाँ कार्य किये वहां सर्व सुविधाएं उपलब्ध थी लेकिन अब मेरा नाता जर्जर और सुविधाविहीन शाला के उन छात्रों से था जिनका पठन पाठन से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं बन पाया थ जो केवल खेलने और मनोरंजन करने  के उद्देश्य से शाला आया करते थे।
 ऐसी स्थिति में उन छात्रों को पठन पाठन से जोड़ना मेरे लिए चुनौती थी और मेरा उद्देश्य भी था कि मैं उनको बेहतर शिक्षा प्रदान करूँ। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु ऐसी शैली विकसित करना जो छात्रों के मन के अनुकूल हो और जो उनको आकर्षित कर अध्ययन में रुचि विकसित कर सकने में समर्थ बना पाए जो उन्हें खेल तथा मेरे लिए शिक्षा प्रदान करने का साधन बने और वे खेल के माध्यम से हो पाठगत विषयवस्तु को बिना डर भय के सीख जाए और जिसका प्रभाव उनके मस्तिष्क पर स्थायी हो।
मैं उनके साथ विनम्र व्यवहार कर उनके मन को जीत लिया बच्चे बिना डर  भय के मुझसे अपनी समस्या को बताने लगे। सबसे पहले काम यही किया मैंने वहाँ।
अध्यापन लिए मैंने नवाचार का मार्ग चुना जिसके माध्यम से मैंने उनके मन में पठन पाठन के प्रति रुचि जागृत की।इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैंने कक्षा में साज सज्जा की फ्लेक्सि बनवाकर चिपकाई, क्रिएटिव कार्नर बनाई, प्रिंटरीच वातावरण तैयार की। खुद भी वाल पेंटिंग की ताकि कक्षा का वातावरण बच्चों को आकर्षित करे।
       विषयवस्तु को रोचक बनाने के लिए खेलविधि , रोलप्ले, नाट्य शैली,  क्राफ्ट वर्क, गीत ,कविता कहानी का निर्माण, स्वयं के खर्च से पाठ की समझ बनाने के लिये टी.एल.एम. का निर्माण, मोबाइल टेलीविजन( मनोज लाकरा सर जी  हरियाणा द्वारा प्रदत्त) का प्रयोग जैसी गतिविधि आधारित शिक्षा प्रदान की जिसका प्रभाव शीघ्र ही परिलक्षित भी हुआ। इस तरह अपने नवाचार के माध्यम से उनको प्रोत्साहित कर सीखने की ओर आगे बढ़ाया जिसमें मुझे सफलता मिली।


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आईये अब इनके द्वारा बनाये गये जबर्दस्त एवं आकर्षक टी एल एम् देखें |


























काफी शानदार प्रयास हैं एवं रचनात्मकता भरी हुई है |






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