Banking&Finance/L4/U1/S1/Basics of Capital Market

                                                           



 Unit-01

                                    
 Session-01- Basics of Capital Market

Q.1.  Capital Market से क्या अभिप्राय है ?

Ans.  Capital Market से अभिप्राय है कि ऐसी व्यवस्था जिसमें लोगों के पास पड़े surplus को बड़ी-बड़ी          व्यवसायिक  कम्पनियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाता है। व्यावसायिक इकाइयाँ अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति Share एवं Debentures(अंश एवं ऋणपत्रों) के माध्यम से करती है। इन्हें Securities भी कहा जाता है। इन securities का क्रय विक्रय Securities Market में होता है। इस मार्किट में दीर्घकालीन एवं मध्यकालीन कोषों से संबंधित लेन-देन होते हैं। 

Q.2. Security बाज़ार का क्या अर्थ है?

Ans.  Security market, भारतीय पूँजी बाज़ार का मुख्य अंश है। इस बाज़ार में mutual funds, Shares, Debentures एवं Bonds के क्रय-विक्रय द्वारा कोषों का आदान-प्रदान किया जाता है। इनके दो भाग हैं -

                           

Q.3.  Debt Market क्या है ?

Ans. Debt Market:-  Debt मार्किट में कम्पनियां, सरकार या सार्वजनिक संगठन (PSUs- Public Sector Undertakings) के द्वारा अपनी मध्यकालीन या दीर्घकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बांड्स या ऋणपत्र जारी किए जाते हैं । Bonds एवं ऋणपत्र जारी करने वाली कम्पनियां Borrower तथा इन्हें खरीदने वाले Lender कहलाते हैं। 

Q.4. What are the functionaries of Debt Market ?(साख बाज़ार के सहायक कौन हैं ?)

Ans.  Debt Market की सहायक वे व्यावसायिक इकाइयाँ हैं जो साख प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग में भाग लेती हैं तथा जो मध्यस्थों द्वारा(Intermediaries) के द्वारा साख प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग में सहयक होती हैं। Debt Market में काम करने वाली कम्पनियां मुख्यतः Wholesale Market का भाग हैं तथा जो Debt Instrument के issuers(जारीकर्ता) हैं।  इनका वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता हैं -


  • भारत सरकार द्वारा- दीर्घकालीन के लिए विकास कार्यों पर होने वाले  खर्च को पूरा करने के लिए लॉन्ग टर्म सिक्योरिटीज जैसे बांड्स आदि ज़ारी किए जाते हैं जिनके भुगतान का समय कुछ वर्षों से लेकर 30 वर्षों तक हो सकता है। इस क्षेत्र में RBI का Public Debt Office (PDO) सरकारी प्रतिभूतियों के पंजीकरण डिपाजिटडी का कार्य करता है और इनकी maturity date पर ब्याज़ सहित इनका भुगतान करता है। 

  • राज्य सरकार, म्युनिसिपेलिटी एवं अन्य स्थानीय सरकार - इसके द्वारा अपनी विकास परियोजनाओं के लिए कोषों की आवश्यकता को पूरा करने हेतु ऋणपत्र एवं बोंड्स जारी किए जाते हैं। 

  • PSUs -- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा भी अपनी दीर्घकालीन एवं कार्यशील पूँजी संबंधी अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए Debt Securities(साख प्रतिभूतियां ) ज़ारी की जाती हैं।  ये कम्पनियां Debt market में भी जारी किए जा चुके बांड्स में निवेश करती हैं। 

  • RBI- इसके द्वारा भी खुले बाज़ार की क्रियाओं द्वारा Debt Market में भाग लिया जाता है ताकि मीट्रिक नीति के अनुसार बाज़ार में तरलता बनाई जा सके। जब बाज़ार में अधिक तरलता हो तो RBI द्वारा सिक्योरिटीज को बेचा जाता है और जब बाज़ार में तरलता कम हो टो RBI द्वारा Securities को खरीदने का काम शुरू किया  जाता है। 

  • Commercial Banks- ये प्रतिभूतियों के सबसे बड़े क्रेता-विक्रेता होते हैं, विशेषकर Government सिक्योरिटीज के क्योंकि इन्हें अपनी SLR को बनाये रखना होता है। 

  • कम्पनियों द्वारा- Capital Market अर्थात पूँजी बाज़ार में अपनी दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बढ़-चढ़ कर भाग लिया जाता है जिसके लिए प्रत्यक्ष रूप से पूँजी बाज़ार में परिवर्तनशील एवं गैर परिवर्तनशील ऋणपत्रों को ज़ारी किया जाता है।  कम्पनियां द्वितीय बाज़ार में अपने आधिक्यों के निवेश के लिए  ऋणपत्रों का क्रय-विक्रय करती हैं।     
Q.5.  Write a short note on equity market.

Ans. Equity market में अंशों(share) की ट्रेडिंग का कार्य किया जाता है।  इन अंशों को Private & Public Companies द्वारा अपनी पूँजी बढ़ाने के उद्देश्य से जारी किया जाता है।  इन अंशों के क्रेता समता अंशधारी कहलाते हैं।  इनका कंपनी की पूँजी में स्मावित्व होता है। अत वे लाभों  में हिस्सा पाने के अधिकारी होते हैं।  

Note:- लाभों का वह हिस्सा जो समता अंशधारियों को बाँट दिया जाता है, लाभांश कहलाता है।  

Q.6. What are functionaries of Capital Market ?

Ans. पूँजी बाज़ार के सहायक निम्न है -


  • कम्पनी - इन अंशों को कम्पनी द्वारा Public को जारी किया जाता है, जिसके प्रबंध के लिए कम्पनियां मर्चेंट बैंकर, एजेंसी इत्यादि की सहायता लेती हैं। नए अंशों के जारी करते समय इन्हें Recognised Stock Exchange में listed करवाना पड़ता है ताकि भविष्य में भी इनकी ट्रेडिंग की जा सके। 

  • Stock Exchange- स्टॉक एक्स्चेंज्स में बड़ी संख्या में कम्पनियों एवं बड़ी-बड़ी व्यापारिक संस्थाओं द्वारा अंशों का क्रय-विक्रय किया जाता है जिन कम्पनियों की वित्तीय स्थिति जितनी मजबूत होती है उनके अंशों का उतना ही अधिक मूल्य होता है।   
Q.7. पूँजी बाज़ार(Capital Market) से क्या अभिप्राय है? इसके कितने प्रकार हैं ?

Ans. पूँजी बाज़ार से अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें सरप्लस को बड़ी-बड़ी व्यापारिक कम्पनियों के जरूरतों को पूरा करने के लिए उपलब्ध करवाया जाता है।  




  • प्राथमिक बाज़ार:- प्राथमिक बाज़ार से अभिप्राय उस बाज़ार से है जहाँ नई प्रतिभूतियों को सर्वप्रथम जारी किया जाता है।  

  • द्वितीय बाज़ार :- द्वितीयक बाज़ार से अभिप्राय उस बाज़ार से है जहाँ पहले से जारी की जा चुकी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है। इन्हें स्टॉक एक्सचेंज भी कहा जाता है।  भारत में कुल 23 Stock Exchanges हैं। 


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